पुरुष सूक्त। भगवान नारायण को यह अति प्रिय हैं।
सर्वप्रथम मैं समस्त पाठको से क्षमा प्रार्थी हूँ कि मैं इतने अधिक समय तक अनुपस्तिथ रहा। श्रावण मास से अधिक पवित्र मास कौन सा हो सकता है कि हम इस blog को पुनः शुरू करे। अतः आज भगवान शिव की स्तुति में मेरी ओर से यह तुच्छ भेँट।